1977 के बाद पहली बार लालू यादव चुनावी घमासान से हैं दूर

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव की जमानत याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से लालू यादव को बहुत बड़ा झटका लगा है। चारा  घोटाले में सजा के चलते वह इस बार के महत्वपूर्ण चुनाव प्रचार भी नहीं कर सके। इस बीच आज लालू ने पत्र लिखकर मतदाताओं से वोटिंग की अपील भी की। 1977 के बाद ऐसा पहला बार होगा जब लालू यादव चुनाव प्रचार से दूर हैं। लालू के चुनाव प्रचार में न उतरने से वो पुराना दौर भी याद आता है जब बिहार में लालू का जलवा लोगों के सिर चढ़कर बोलता था। विज्ञापन

लालू राज में एक कहावत खूब मशहूर हुआ करती थी। ‘जब तक रहेगा समोसे में आलू, तब तक रहेगा बिहार में लालू।’ लेकिन अब बिहार में न लालू की सरकार है और न ही लालू इसबार के लोकसभा चुनाव में प्रचार करते नजर आएंगे। बिहार की राजनीति लालू के बिना अलग नजर आ रही है।  

1977 के बाद यह पहली बार है जब लालू यादव चुनाव से दूर हैं। 1977 में पहली बार 29 साल की उम्र में लालू छपरा (अब सारण) लोकसभा से चुनाव जीते थे। इसके बाद से वह गाहे-बगाहे हर चुनाव में प्रचार में करते नजर आए हैं। 

लालू 2014 लोकसभा और 2015 विधानसभा चुनाव के समय जमानत पर बाहर आ गए थे और धुआंधार प्रचार भी किया था। एक समय ऐसा लग रहा था कि लालू का जादू खत्म हो चुका है लेकिन उनकी रैलियों में खूब भीड़ उमड़ी। मतदाताओं पर उनके पुराने जादू की झलक नजर आई। बिहार में महागठबंधन की सरकार बनी और राजद सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। 

लालू प्रसाद नौ करोड़ रुपये से अधिक के चारा घोटाले से संबंधित तीन मामलों में दोषी ठहराए जा चुके हैं। 90 के दशक का चारा घोटाला तब का है जब बिहार और झारखंड एक हुआ करता था। अभी लालू गलत तरीके रुपये निकासी के मामले में जेल में हैं। 

लालू को झारखंड के देवघर, दुमका और चाईबासा के दो कोषागार से गलत तरीके से धन निकालने के अपराध में दोषी ठहराया गया है। उनपर दोरांदा कोषागार से धन निकाले जाने से संबंधित मामले में भी मुकदमा चल रहा है।

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